Last modified on 3 फ़रवरी 2009, at 17:38

छाता / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:38, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नज़र घुमाकर देखो
कोने में
हर पल तत्पर
किसी भी मौसम के लिए
तुम्हारा छाता

यह अलग बात है
पिछले मौसम में
कुछ कम भीगा
धूप की छेनी ने
छीला
पर
     आड़ा
         तिरछा

इस बार
कुछ ज़्यादा आयेगा
आँधी-पानी
धूप निश्चय ही
होगी तीखी

पर छाता
तुम्हारे ऊपर तनने के लिए
हर पल तैयार है
सवाल यह है
कि छाते पर तुम्हारी पकड़
जितनी मज़बूत होगी
आँधी
       पानी
              धूप
उतनी ही कमज़ोर होगी