Last modified on 3 फ़रवरी 2009, at 20:21

पत्ता-1 / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:21, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ए...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक पत्ता
टूटकर
     शाख से
उड़ चला
आसमान की ओर

बन गया
आसमान के लिए
एक चुनौती

कहा पत्ते ने :
डरो नहीं
ईश्वर मुझे नहीं होना है
उतरना
है
मुझे
     धरती पर
आखिरकार

बस
अपने इस अनंत विस्तार को
अपने में
भर लेने दो