कौन लिख गया
नदी-दर्पण में तुझे
साँझ की परछाईयों-सा
नदी अपनी चुप में
तुझे कहती
बह गयी
कौन देकर तुझे दूरियाँ
पगडंडियों से चला गया
किस ध्यान में यूँ मौन तू
दिशा आँकती
रह गयी
पदचिन्ह-सा कौन तुझे
प्रश्न चिन्ह कह छोड़ गया
किस आस में बहती हुई तू
बोझ इतना
सह गयी