Last modified on 7 फ़रवरी 2009, at 06:01

असंभव / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:01, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं
तुम्हारे पास से
उठ आया ऐसे
जैसे पेड़ से
पंछी
पहाड़ से
धूप

जाकर भी
तुम्हारे पासे से जा सकता हूँ
कैसे।