Last modified on 8 फ़रवरी 2009, at 21:21

व्यर्थता / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:21, 8 फ़रवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


कहना व्यर्थ था
हवा को हवा
धूप को धूप
रात को रात
यातना को यातना
अव्यवस्था को अव्यव्स्था

देखना व्यर्थ था सत्य
रंग-बिरंगे मनमोहक पर्दों के पीछे
जो नंग-धड़ंग था

सोचना व्यर्थ था
विकल्प

व्यर्थता फिर भी
दिन-ब-दिन बढ़ रही थी

अव्यवस्था व्यर्थता को
संगत प्रमाणित करती है