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पहला चुंबन / अशोक वाजपेयी

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एक जीवित पत्थर की दो पंक्तियाँ
रक्ताभ, उत्सुक
काँपकर जुड़ गई
मैंने देखा :
मैं फूल खिला सकता हूँ।

(1960)