Last modified on 21 फ़रवरी 2009, at 00:40

जुनून / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:40, 21 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=भविष्य के नाम पर / केशव }} <Poem> रिश्तों ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रिश्तों का जुनून होता है
एक उम्र तक
फिर फूलने लगता है दम
दर्द झाँकता है हर झरोखे से
हर बात में दिखाई देता है खम

फिर रिश्तों के खोखले में बैठ
आदमी ढूँढता है परिभाषाएँ
सितारों को जोड़ता है परस्पर आकर्षण
फिर भी एक अलग है दूसरे से

जरूरी नहीं कि उम्र को
नहलाया जाये खिजाब से
शब्दों से मापी जायें
रिश्तों की गहराइयाँ
एक-दूसरे में जाने के लिए
खामोशी भी एक
पुरअसर ज़रिया होता है

हर मौसम में
एक ही तरह के फूल रोपकर
अलग-अलग गँध उनमें खोजता है
पर बाहर की हवा को
आँगनबाड़ी में आने से रोकता है.