Last modified on 26 फ़रवरी 2009, at 06:24

रात भर / सुधा ओम ढींगरा

अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:24, 26 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा }} <poem> रात भर यादों को सीने में उतार...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रात भर
यादों को
सीने में
उतारती रही,
चाँद- तारों
को भी
चुप-चाप
निहारती रही.

शांत
वातावरण
में न
हलचल हो कहीं,
तेरा नाम
धीरे से
फुसफुसा कर
पुकारती रही.

तेरी नजरें
जब भी
मिलीं
मेरी नज़रों से,
उन क्षणों को
समेट
पलकों का सहारा
देती रही.

उदास
वीरान
उजड़े
नीड़ को,
अश्रुओं
कुछ आहों
चंद सिसकियों से
संवारती रही.

जीवन की
राहों में
छूट गए
बिछुड़ गए जो ,
मुड़-मुड़ के
उन्हें देखती
लौट आने को
इंतज़ारती रही.