हाईस्कूल में पढते समय ही छन्द रचने लगे ।किशोरवय में मार्क्सवाद की ओर रुझान । अंग्रेजी एवं हिन्दी में एम.ए. । अंग्रेजी के प्राध्यापन के रूप में लोकप्रिय और प्रतिष्टित । मदन इंटर कौलेज़, भोगाँव और नारायण इंटर कौलेज, शिकोहाबाद में १८ वर्षों तक प्राचार्य का पद सँभाला । १९८९ में लोकसभा के सदस्य के रूप में मैनपुरी क्षेत्र से निर्वाचित । १९९९७ से २००० तक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य के रूप में कार्य । दो बार राज्य सभा के सदस्य के रूप में उत्त्र प्रदेश से मनोनयन । संप्रति राज्यसभा के सदस्य के रूप में देश सेवा ।
१९९३ में सूरीनाम में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारतीय साहित्य्कारों का नेतृत्व किया । अब तक १७-१८ देशों की यात्रा । सांसद होते हुए भी बेहद फ़क्कड़, सहज और धरती से जुड़े व्यक्ति । साहित्यकारों के मसीहा ।
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