Last modified on 15 मार्च 2009, at 19:54

शब्द / हेमन्त जोशी

हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:54, 15 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त जोशी }} <poem> शब्द महज शब्द नहीं पूरा संसार ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


शब्द महज शब्द नहीं
पूरा संसार है
केंचुए सा रेंगता
वायलिन सा बजता
रंगों सा बिखरता

मुँह खुलता है जब भी
अंकुर सा प्रस्फुटित होता है
हाथ के खिलाफ़ मुट्ठी सा तनता है
युद्ध में जोरों से फटता है
युद्ध के विरुद्ध
सफ़ेद पताका सा लहराता है
 
शब्द।