फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का जन्म सियालकोट, पाकिस्तान में हुआ था ।
वे उर्दू के बहुत ही जाने माने कवि थे । आधुनिक उर्दू शायरी को एक नई ऊँचाई दी । इसी समय उर्दू के काव्यगगन में साहीर, ईकबाल, कैफ़ि, फ़िराक़ के जैसे और भी सितारे चमक रहे थे । वे अंग्रेजी तथा अरबी में MA करने के बाद भी कबितायें उर्दू में ही लिखते थे ।
1942 से लेकर 1947 तक वे सेना मे थे । लियाकत अली खाँ की सरकार के तख्तापलट की साजिश रचने के जुर्म में वे १९५१ - १९५५ तक कैद में रहे । इसी दौरान लिखी गई कविताएँ बाद में बहुत लोकप्रिय हुईं और "दस्ते सबा" तथा "जिंदानामा" नाम से प्रकाशित किया गया । बाद में वे 1962 तक लाहोर में पाकिस्तान आर्टस काउनसिल मे रहे । 1963 में उनको सोभियत रशिया से लेनिन शांति पुरस्कार प्रदान किया गया । भारत के साथ 1965 के युद्ध के समये वे सूचना मंत्रक मे काम किये । 1984 में, उनके देहांत के पहले, नोबेल पुरस्कार के लिये उनका नाम सामने आया था ।