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सँयुक्त / महेन्द्र गगन

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परस्पर विपरीत
संयुक्त है

रात के
कंधे पर सुबह
सुख के पीछे दुःख
फूल के साथ काँटे
मृत्यु से
नहीं बचाए रखा जा सकता जीवन

प्रेम-घृणा
सत्य-असत्य
ज्ञात-अज्ञात
मंगल-अमंगल
सेवा-शत्रुता
देव-दानव
किसी भी एक को बचाकर
नहीं बचाया जा सकता दूसरे को

प्रकाश की
परिधि
अंधेरे का घेरा है
जो भी है परस्पर
संयुक्त है
संयुक्त के सन्तुलन से
सधता है जीवन