Last modified on 26 मार्च 2009, at 11:09

सफ़ेद रंग / बुद्धिलाल पाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 26 मार्च 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुद्धिलाल पाल |संग्रह= }} <Poem> अक्सर एक पंछी हौले से...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अक्सर एक पंछी
हौले से उतर आता है
मेरे कंधे पर
और मैं सम्भावनाओं से
घिर जाता हूँ

चल रही हवाएँ बहुत तेज़
कभी पूरब से, कभी पश्चिम से
कभी उत्तर से, कभी दक्षिण से
और मैं डर जाता हूँ

रात में एक रोशनी
तारों के बीच से
गिरती है जंगलों में
और मैं उठाकर ले आता हूँ

मिलते हैं चश्में
रंगो-रंग के बाज़ार में
पर रंग सफ़ेद ही
अच्छा लगता है

यह मेरा मन है