शेख़ मुहम्मद इब्राहीम ज़ौक उस्ताद शायरों में शुमार किए जाते हैं, जिनके अनेक शागिर्दों ने अदबी दुनिया में अच्छा मुक़ाम हासिल किया है। शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ का रंग सांवला था। चेहरे पर हद से ज़्यादा चेचक के दाग़ थे। लेकिन इसके बावजूद वह बहुत अच्छे लगते थे। अकबर शाह बादशाह ने शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ को ख़ाक़ान-ए-हिन्द की उपाधि से नवाज़ा तब उनकी उम्र महज़ 19 वर्ष थी। उनकी आवाज़ ऊंची और ख़नकदार थी। मुशायरों में वे शेर पढ़कर सामईन का दिल लूट लेते थे। बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र और नवाब इलाही बख़्श ने ज़ौक़ साहब की शागिर्दी की। शेख़-ज़ौक़ एक साधारण सिपाही के पुत्र थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर अनेक विघ्न-बाधाओं को रौंदते हुए, शाही दरबार में प्रवेश पाया और बहादुर शाह बादशाह के काव्य-गुरु के आसन पर प्रतिष्ठित हुए। ज़ौक़ साहब को ख़ाक़ान-ए-हिन्द जैसी महान पदवी के बाद मिलकुल शोअरा की उपाधि से भी नवाज़ा गया।