Last modified on 11 अप्रैल 2009, at 01:34

महकी बेला / नचिकेता

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:34, 11 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंशु मालवीय }} <poem> महकी बेला नागफनी से बिंधकर भी म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

महकी बेला
नागफनी से
बिंधकर भी महकी बेला

तेज धूप है
चलती गर्म हवा भी है
पर, इसकी परवाह न इसे
जरा भी है
हरसिंगार से
आंख मिला टहकी बेला
घाम, गीत
वर्षा का डर है इसे नहीं
गीतों जैसा हासिल
स्वर है इसे नहीं
पंख बिना भी
चढ़ छत पर चहकी बेला

खुशबु इसकी
दबे पांव आती घर में
रच देती आसंग आंख के
काजर में
फिर भी ढूंढ
नहीं पायी गंहकी बेला