नजर मौसम की
हवाओं की चाल पर है
नजर मौसम की
कहां तीखा घाम
बरखा कहां होनी है
किस जगह के चेहरे की
मैल धोनी है
कहां गूंजेगी
ध्वनि अविराम सरगम की
है अभी उलझी
हुई गुत्थी सवालों की
नापनी है चाल धड़कन की
उछालों की
भोर की आंखें
उमंगों से भरी चमकी
हर परिन्दे की
उड़ान चाह होती है
आंधियों में गुम न कोई
राह होती है
चिलचिलाती धूप में
बेला न क्या गमकी