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खून का आँसू / नईम

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खून का आँसू -
हमारी आंख में, ठहरा हुआ है।

बाहरी हो तो करूं तीमारदारी,
रिस रहे नासूर से तो अक्ल हारी।

मरहमपट्टी से सरासर-
सच ये गहरा हुआ है।

हो गई भाषा पहेली, उलटबासी,
आज खांटे व्यंग्य की सूरत रूआंसी।

पूछता है काल हमसे,
शब्द का व्यक्तित्व क्यों दुहरा हुआ है?

अन्न का रिश्ता नहीं अब आचरण से,
जिंदगी से कहीं ज्यादा, साबका पड़ता मरण से

विधाता जनगणों का -
अंधा हुआ, बहरा हुआ है।