- ज़िन्दगी में जब हमारी ज़िन्दगी आने लगी / नित्यानन्द तुषार
- हम भटकते हैं पर अब वफ़ा के वास्ते / नित्यानन्द तुषार
- जो रहे सबके लबों पर उस हँसी को ढूँढ़िए / नित्यानन्द तुषार
- धुंध-सी छाई हुई है आज घर के सामने/ नित्यानन्द तुषार
- हमेशा पास रहते हैं मगर पल-भर नहीं मिलते/ नित्यानन्द तुषार
- ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें / नित्यानन्द तुषार
- ज़िन्दगी की इक हक़ीकत आपसे कहता हूँ मैं/ नित्यानन्द तुषार