दुपट्टा लहरा रहा है शानदार
हवा चल रही है तेज़
बादल बरसने को हैं
मौसम रहा है लगातार बदल
तय करना कठिन है
दुपट्टा क्यों लहरा रहा है
अंग क्यों भीगे हैं
उभार क्यों नही है
रंग क्यों गायब है
सवाल करती है युवती!
क्यों नहीं किसी को याद आते
कालिदास
या फिर उनकी शकुंतला
रंग यहाँ भी दिखता है
क्यों
केसरिया या फिर भगवा !