रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।
ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।
रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।
ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।