रचनाकार: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
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पद तेरी अँगिया में चोर बसैं गोरी ! इन चोरन मेरो सरबस लूट्यौ मन लीनो जोरा जोरी ! छोड़ि देई कि बंद चोलिया, पकरैं चोर हम अपनो री ! "हरीचन्द" इन दोउन मेरी, नाहक कीनी चितचोरी ! तेरी अँगिया में चोर बसैं गोरी !!