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पद / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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रचनाकार: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

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पद

तेरी अँगिया में चोर बसैं गोरी !

इन चोरन मेरो सरबस लूट्यौ मन लीनो जोरा जोरी !

छोड़ि देई कि बंद चोलिया, पकरैं चोर हम अपनो री !

"हरीचन्द" इन दोउन मेरी, नाहक कीनी चितचोरी !

तेरी अँगिया में चोर बसैं गोरी !!