Last modified on 26 अप्रैल 2009, at 20:04

ख़्वाब देखे कोई और / अभिज्ञात

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:04, 26 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अभिज्ञात }} <poem> मेरे साथ ही ख़त्म नहीं हो जायेगा स...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे साथ ही ख़त्म नहीं हो जायेगा
सबका संसार
मेरी यात्राओं से ख़त्म नहीं हो जाना है
सबका सफ़र

अगर अधूरी है मेरी कामनाएँ
तो हो सकता है तुममें हो जाएँ पूरी

मेरी अधबनी इमारतों पर
कम से कम परिन्दे लगा लेंगे घोंसले

मैं
अपने आधे-अधूरेपन से आश्वस्त हूँ

कितना सुखद अजूबा हो
कि
मैं अपनी नींद सोऊँ
उसमें ख़्वाब देखे कोई और
कोई तीसरा उठे नींद की ख़ुमारी तोड़ता
ख़्वाबों को याद करने की कोशिश करता।