गाँव, खेतों-क्यारियों में बोलता है चीख में, सिसकारियों में बोलता है
पड़ गईं कितनी दरारें, आज नक्शा तीन-रंगी धारियों में बोलता है
आपका बाजार लुटना है जरूरी मांस - ज़िंदा, लारियों में बोलता है
दूध मत छीनो, दिखाकर झुनझुना यूँ
पालना किलकारियों में बोलता है
आपका चेहरा रँगेगा खून मेरा आपकी पिचकारियों में बोलता है