Last modified on 2 मई 2009, at 01:02

हादसे अब घटने चाहिएँ / ऋषभ देव शर्मा

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:02, 2 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हादसे अब घटने चाहिएँ
यार ! बादल छँटने चाहिएँ

कुर्सी मरखनी हो गई है
इसके सींग कटने चाहिएँ

पढ़ो ‘रा’ से रोटी, रथ नहीं
श्रम के गीत रटने चाहिएँ

भरे गोदाम से अनाज के
पहरे सभी हटने चाहिएँ

‘जनगण की छातियों में दफ़न
ज्वालामुखी फटने चाहिएँ