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धीवरगीत-6 / राधावल्लभ त्रिपाठी

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दूर है अभी भी क्षितिज
सूरज उग रहा है उसके ऊपर
सूरज की किरणों के ताने-बाने से
रच गया सेतुबंध
इस पर आगे जा सकती है नौका
सागर के जल पर
सागर छू रहा है आकाश
या आकाश उतर रहा है सागर के तल पर