हमारे देश की सरस्वती को
ले गए अंग्रेज़
महाराज भोज ने बनवाया था जिसे
गौरवमय वह सरस्वती
ब्धुओ, लंदन के संग्रहालय में क़ैद है
वज़्र की तरह कठोर शब्दों में
पंडित दामोदर ने
भरी सभा में की ऎसी गर्जना।
हिल उठी सभा
फिर विष्ण्ण और क्षुब्ध हुई।
कुछ लोगों की आँखों में तो आ ही गए आँसू।
तत्काल उन्होंने असंकल्प किया
कि लौटाकर लाएंगे सरस्वती को
प्रस्ताव के पारित होते ही
पिटीं तालियाँ
हर्षध्वनि हुई तुमुल
तुमुल उस कोलाहल को सुनकर
जन-जन के मन में बसी
शुभ्र सरस्वती देवी हँसी।