Last modified on 19 मई 2009, at 23:52

घर / पंकज सुबीर

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:52, 19 मई 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरा घर बुढ़ाने लगा है
खांसती हैं दीवारे आजकल
रात भर
हालंकि डरती हैं
कि कहीं मेरी नींद न टूट जाए
इसलिये शायद
लिहाफ में मुंह दबा कर खांसती हैं
फिर भी मैं सुन लेता हूं
और जान लेता हूं
कि मेरा घर
बूढ़ा होता जा रहा है