Last modified on 23 मई 2009, at 00:33

कुछ शे’र / अली सरदार जाफ़री

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:33, 23 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: दो शे’र ===== यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को ये तमाम रंगो-नक्‌हत...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दो शे’र

=

यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को

ये तमाम रंगो-नक्‌हत तिरे इख़्तियार में है

        #####


तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है

ये हुजूमे-माहो-अंजुम१ तिरे इन्तिज़ार में है


१.चाँद और तारों का जमघट