दो शे’र
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यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है
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तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम१ तिरे इन्तिज़ार में है
१.चाँद और तारों का जमघट
दो शे’र
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है
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तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम१ तिरे इन्तिज़ार में है
१.चाँद और तारों का जमघट