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कुछ शे’र / अली सरदार जाफ़री

दो शे’र

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यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को

ये तमाम रंगो-नक्‌हत तिरे इख़्तियार में है



तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है

ये हुजूमे-माहो-अंजुम<ref> चाँद और तारों का जमघट</ref>तिरे इन्तिज़ार में है


शब्दार्थ
<references/>

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