Last modified on 28 मई 2009, at 00:19

तीन शे’र / अली सरदार जाफ़री

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 28 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> '''तीन शे’र''' तेरी दिलबरी क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


तीन शे’र


तेरी दिलबरी का तुह्‌फ़ः, ये सितार:बार आँखें
मए-शौक़ से छलकती ख़ुशो-पुरख़ुमार आँखें

मिरे दिल पे साया-अफ़गन, मिरी रूहो-जाँ में रौशन
ये फ़रिशतःगौर ज़ुल्फ़ें, ये खुदा-शिकार आँखें

रहे ता-अबद<ref>सृष्टि के अंत तक</ref> सलामत, ये दिलो-नज़र की जन्नत
ये सदाबहार पैकर, ये सदाबहार आँखें

शब्दार्थ
<references/>