बैर प्रीति करिबे की मँन मेँ न राखै सँक
राजा राव देखि कै न छाती धक धाकरी ।
आपनी उमँग की निबाहिबे की चाह जिन्हेँ
एक सोँ दिखात तिन्हेँ बाघ और बाकरी ।
ठाकुर कहत मैँ बिचार कै बिचार देखौ
यहै मरदानन की टेक बात आकरी ।
गही जौन गही जौन छोरी तौन छोर दई
करी तौन करी बात नाकरी सो नाकरी ॥
ठाकुर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।