सहर सहर सोँधो सीतल समीर डोलै ,
घहर घहर घन घेरि कै घहरिया ।
झहर झहर झुकि झीनी झरि लायो देव ,
छहर छहर छोटी बूँदनि छहरिया ।
हहर हहर हँसि कै हिँडोरे चढ़ी ,
थहर थहर तनु कोमल थहरिया ।
फहर फहर होत पीतम का पीत पट ,
लहर लहर होत प्यारी को लहरिया ।
देव का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।