Last modified on 6 जून 2009, at 16:31

जीवन / कविता वाचक्नवी

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:31, 6 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''जीवन''' जीवन तो यों स्वप्न न...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन


जीवन तो
यों
स्वप्न नहीं है
आँख मुँदी औ’ खुली
चुक गया।

यह तपते अंगारों पर
नंगे पाँवों
हँस-हँस चलने
बार-बार
प्रतिपल जलने का
नट-नर्तन है।