शाम बन्सीवाला कन्हैया। मैं ना बोलूं तुजसेरे॥ध्रु०॥
घर मेरा दूर घगरी मोरी भारी। पतली कमर लचकायरे॥१॥
सास नंनदके लाजसे मरत हूं। हमसे करत बलजोरी॥२॥
मीरा तुमसो बिगरी। चरणकमलकी उपासीरे॥३॥
शाम बन्सीवाला कन्हैया। मैं ना बोलूं तुजसेरे॥ध्रु०॥
घर मेरा दूर घगरी मोरी भारी। पतली कमर लचकायरे॥१॥
सास नंनदके लाजसे मरत हूं। हमसे करत बलजोरी॥२॥
मीरा तुमसो बिगरी। चरणकमलकी उपासीरे॥३॥