साधना
एक मछली सुनहरी
ताल के तल पर ठहरी
ताकती रही रात भर
दूर चमकते तारे को।
ब्राह्ममुहूर्त में
गिरी एक ओस बूँद
गिरा तारे का आँसू
मछली के मुँह में
पुखराज बन गया।
साधना
एक मछली सुनहरी
ताल के तल पर ठहरी
ताकती रही रात भर
दूर चमकते तारे को।
ब्राह्ममुहूर्त में
गिरी एक ओस बूँद
गिरा तारे का आँसू
मछली के मुँह में
पुखराज बन गया।