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अवगाहन / कविता वाचक्नवी

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अवगाहन


किसी
मूक-वेदन की
विकल, विवश
पीडा की
आहत-आकुल
मोहकता
हाथों में
कसकर
छूने चली
आकाश
स्वरों के अवगाहन को।