कैसी जादू डारी। अब तूने कैशी जादु॥ध्रु०॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी छबि न्यारी॥१॥
वृंदाबन कुंजगलीनमों। लुटी गवालन सारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलहारी॥३॥
कैसी जादू डारी। अब तूने कैशी जादु॥ध्रु०॥
मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडलकी छबि न्यारी॥१॥
वृंदाबन कुंजगलीनमों। लुटी गवालन सारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलहारी॥३॥