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सदस्य वार्ता:जय प्रकाश मानस

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प्रिय साथियो,

जब तक आपके पास पूर्ण प्रमाणित कृति या पांडुलिपि न हो । इस तरह से (छायावाद के स्तम्भ-मुकुटधर पांडेय जी की रचना के संदर्भ में )प्राचीन रचनाओं पर कलम न चलायें । आशा है आप अन्यथा नहीं लेंगे ।

0 'नाचा' छत्तीसगढ़ी शब्द-लोक का प्रिय शब्द है । इसे यहाँ की 2 करोड़ जनता समझती है । यह छत्तीसगढ़ी के व्याकरण में एम.ए. में पढ़ाया भी जाता है । इस शब्द का प्रयोग श्रीकांत वर्मा, अशोक बाजपेयी, मुक्तिबोध भी कर चुके हैं । इस शब्द को हबीब तनवीर जी ने समूचे विश्व में पहुँचा दिया है । अपने नाटकों के माध्यम से । नाचा विधा सभी भारत महोत्सव में चयनित होता रहा है और विश्व के लोग उसे देखते रहें है । क्या आप नौंटकी शब्द की जगह भी नाच रख देंगे । कृपया ऐसा न करें ।

0 नाचा मतलब नाच ही होता है । पर उसका लेखक यहाँ स्वयं कार्यरत है तब आपने क्यों कर ऐसा किया । यह मेरे समझ से परे हैं । भाई हजारों ऐसी कविताएं हैं जिसमें लोक के शब्द हैं । हिंदी इसी लोकभाषाओं से ही समृद्ध होती रही है । आप ठेठ हिंदी किसे मानते हैं ?

0 कृपया कम से कम चर्चा तो करलें महोदय ।