जीवन परिचय
दूधनाथ सिंह ने अपनी कहानियों के माध्यम से साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानसिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी ।
प्रकाशित कृतियाँ
अपनी शताब्दी के नाम,सपाट चेहरे वाला आदमी, सुखान्त ,सुरंग से लौटते हुए, निराला:आत्महन्ता आस्था, पहला क़दम, एक और भी आदमी, कहा-सुनी (साक्षात्कार और आलोचनात्मक निबन्ध),दो शरण( निराला जी की कविताओं का संकलन),धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे (कहानी संग्रह)तथा निष्कासन(उपन्यास) उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
नाटक
यम-गाथा दूधनाथ सिंह का चर्चित नाटक है। इसका मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) के भारत रंग महोत्सव- २००५ में अरविन्द गौड़ के निदेशन में,अस्मिता नाट्य संस्था द्वारा किया गया था। प्रमुख रंगमंच अभिनेता सुसान बरार (फिल्म-समर 2007) ने इसमे इन्द्र की भूमिका निभाई थी। यह नाटक मिथक पर आधारित है और इसका कथानक व्यापक सामाजिक राजनीतिक मुद्दों - सामंतवाद, सत्ता की राजनीति, हिंसा, अन्याय, सामाजिक- भेदभाव और नस्लवाद पर सवाल पर खड़े करता है।