Last modified on 24 जून 2009, at 02:27

एकतरफ़ा / गिरधर राठी

क्या पता हम ने जो हत्यारे किए थे तैयार

सो ही रहे हों

या उनका बारूद ख़्त्म हो गया हो

या वे किसी और ही मुक़ाम पर हों

मुमकिन है वे भी डर ही गए हों

या फिर उन्हें महीने का वेतन न मिला हो...


तब तो यही हत्यारे बचे जो हैं अब हमारे सामने

चौकस और लैस

बंदूकें भरे हुए

गोली दाग़ने को तैयार

ऎन सामने