आँखों के आगे रखी हुई
वह माचिस
खोजने पर मिलती नहीं
गोया सरे-आम छिपी रहने को व्यग्र
बेरुख़ और गुमसुम...
इस तरह हम जानते हैं कि चीज़ों का खो जाना
और उन का खोयापन
दरअसल दो अलग-अलग चीज़ें हैं
यह न तो सिर्फ़ हमारी नज़रों का धोखा है
न ही हमारे अपने खोए-
खोएपन का नतीजा