Last modified on 24 जून 2009, at 02:37

बीसवीं सदी / गिरधर राठी

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:37, 24 जून 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जो भी कहा जाना था

कह रही है बीसवीं सदी

पसर कर पृथ्वी पर

उड़ कर अंतरिक्ष में

धँस कर अतल नील में...

मुझे जो कहना था
कह रही है बीसवीं सदी


ख़र्च हो चुके जब कविता के समस्त उपादान

चुक गई प्रेरणा

खुल गए प्रयोजन

तब मैं भी चिल्लाया बीसवीं सदी! बीसवीं सदी!--

उस कवि से बस एक क़दम पीछे

जो अभी-अभी गया है गुज़र कर