Last modified on 30 जून 2009, at 08:58

कुछ पल / किरण मल्होत्रा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:58, 30 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण मल्होत्रा }} <poem> कुछ पल साथ चले भी कोई तो क्य...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कुछ पल
साथ चले भी
कोई
तो क्या होता है
क़दम-दर-क़दम
रास्ता तो
अपने क़दमों से
तय होता है

कुछ क़दम संग
चलने से फिर
न कोई अपना
न पराया होता
बस, केवल
वे पल जींवत
और
सफ़र सुहाना होता है