चढ़ते ही मेरे
तू हो गया पठार
आर-पार बहे
तेरी हवा
पत्थर-झाड़ियों को भी
सतत स्पर्श तेरा
अब नहीं बैठूंगा
मन्दिर में
अनुवाद : चन्द्रकांत देवताले
चढ़ते ही मेरे
तू हो गया पठार
आर-पार बहे
तेरी हवा
पत्थर-झाड़ियों को भी
सतत स्पर्श तेरा
अब नहीं बैठूंगा
मन्दिर में
अनुवाद : चन्द्रकांत देवताले