Last modified on 24 जुलाई 2009, at 12:20

मौन / प्रियंकर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:20, 24 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रियंकर |संग्रह= }} <Poem> कुछ समय उन स्मृतियों के प्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कुछ समय
उन
स्मृतियों के
प्रवाह में
बहना चाहता हूँ
और तुमसे
लय में कुछ
कहना चाहता हूँ

पर सामने जब
निश्छलता की
साक्षात प्रतिमा हो
तो कोई क्या कहे
बेहतर है
मन से
मान दे
निश्छलता को
सादगी को
मौन रहे ।