गिरिजाकुमार माथुर का जन्म म.प्र. के गुना जिले में हुआ। शिक्षा झांसी और लखनऊ में हुई। लम्बे अरसे तक इन्होंने आकाशवाणी की सेवा की। इनकी कविता में रंग, रूप, रस, भाव तथा शिल्प के नए-नए प्रयोग हैं। मुख्य काव्य संग्रह हैं, 'नाश और निर्माण, 'मंजीर, 'धूप के धान, 'शिलापंख चमकीले, 'जो बंध नहीं सका, 'साक्षी रहे वर्तमान, 'भीतर नदी की यात्रा, 'मैं वक्त के हूँ सामने तथा 'छाया मत छूना मन आदि। इन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएं भी लिखी हैं।