जानकीवल्लभ शास्त्री का जन्म गया के मैगरा ग्राम में हुआ। अल्पायु में ही संस्कृत की 'शास्त्री उपाधि प्राप्त की। इनकी ख्याति गीतकार के रूप में रही है। 'रूप-अरूप, 'तीर तरंग, 'शिवा, 'मेघ-गीत, 'अवंतिका, 'कानन, 'अर्पण आदि इनके मुख्य काव्य संग्रह हैं। ये 'साहित्य वाचस्पति, 'विद्यासागर, 'काव्य-धुरीण तथा 'साहित्य मनीषी आदि अनेक उपाधियों से सम्मानित हुए।