अष्टछाप के कवियों में सूरदास एवं नंददास के पश्चात् कृष्णदास की रचना उत्तम मानी जाती है। इनका जन्म गुजरात में राजनगर (अहमदाबाद) के तिलोतरा गाँव में एक कुणबी (पटेल) परिवार में हुआ। इनकी बुध्दिमत्ता एवं कार्यकुशलता से प्रभावित होकर वल्लभाचार्य ने इन्हें दीक्षा दी तथा मंदिर का अधिकारी बनाया। राग कल्पद्रुम तथा राग रत्नाकर में इनकी रचनाएँ संग्रहित हैं। इनके लगभग 250 पद प्राप्त हैं। अनकी कविता अत्यंत सरस और भावभीनी है।