दीन दरवेश पाटन अथवा पालनपुर राज्य के निवासी थे तथा जाति के लोहार थे। ये ईस्ट इंडिया कंपनी में मिस्त्री का काम करते थे। इन्होंने नाथपंथी बाबा बालानाथ से दीक्षा ली थी तथा अनेक तीर्थों का भ्रमण किया था। सूफियों एवं वेदांतियों के मतों का मंथन करके इन्होंने अपना एक अलग मत स्थापित किया। दीन दरवेश की कुंडलियां प्रसिध्द हैं जिनमें प्रेम, त्याग, परोपकार और भक्ति के भाव पाए जाते हैं।